96th BLOG POST -->>
भारत माता की जय |
आप सब को नमस्कार जी,
प्यारे दोस्तो
एनआईटी श्रीनगर में देश का झंडा फहराने पर जेके पुलिस द्वारा छात्रों की पिटाई पर जितना निंदा की जाये वो बहुत कम हैं | दोस्तो अब हर शहर में एनआईटी श्रीनगर छात्रों
के साथ खड़े होने के लिए कुछ एकजुटता मार्च होनी चाहिए | सभी एनआईटी श्रीनगर छात्रों
पर गर्व है जिन्होंने सम्मान के साथ अपनी जमीन पर झंडा फहराने का कार्यक्रम आयोजित
किया | अपनी लड़ाई भारत के विचार की रक्षा के लिए हैं। झंडा फहराने में उनकी मदद के
लिए भारतीय सेना पर गर्व है| अगर हमे एनआईटी श्रीनगर के बच्चों पर गर्व हैं तो उतना
ही गर्व यहाँ सोशल मीडिया में बैठे अपने मित्रो के ऊपर भी हैं जिन्होंने राजनीती से
ऊपर उठ बच्चों का साथ दिया। अरे देश प्रेमिओ डेरी मिल्क खिला के बीमारी का इलाज नहीं
किया जाता और इसीलिए गद्दारों को डिस्पो वैन की सुई ठोकनी ही पड़ती है तब जाकर इन का
इलाज होता है| असहमति से कभी भी चिढ नहीं होती बदतमीजी से होती है|
जेके पुलिस
और प्रतिष्ठित मीडिया पर शर्म आनी चाहिए | दुनिया के लोकतंत्र में प्रतिष्ठित मीडिया
चौथा स्तंभ है लेकिन भारतीय मीडिया का भारत में पहला और पाखंड का सबसे बड़ा स्तंभ है
| दुर्भाग्य से भारतीय मीडिया प्राइम टाइम में आइएस
आइएस, जेएनयू, क्रिकेट पर बहस करते हैं लेकिन शायद ही देशभक्त
तंजील अहमद और एनआईटी छात्र पर बहस निवेश में करते हैं।
देशभक्ति सदा जादू सा असर करती है | जिस भूमि
पर अध्यात्किमता तथा आत्मान्वेषण का विकास हुआ है वो हिंदुस्तान दर्शन, धरम, आचरण शास्त्र,
मधुरता, कोमलता और प्रेम की मातृभूमि है | येह सब विशव
को भारत की देन है| भारत माता की मिट्टी मेरा स्वर्ग है भारत के कल्याण मै ही मेरा कल्याण है | दुनिया मै अगर कहीं स्वर्ग है तो वो हिंदुस्तान मै है | अगर भारत को विशव गुरु बनना है, विशव में उठाना है
तो शिक्षा का विस्तार करना होगा, भारत की संस्कृति का विस्तार करना होगा, सब को मिल
जुल कर धर्म जाति इन सब से ऊपर उठ कर आगे बढ़ना होगा |
भारत वर्ष के महापुरुष और अनेक शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भुला
सकता | सर्वोत्तम कोटि के महापुरुष जिन का चरित्र ज्ञान भक्ति और योग के सूंदर समिश्रण
से बना है उन के आदर्शों को हम कभी नहीं भूल सकते | हमारे महापुरूषों और देश के लिए
बलिदान देने वाले वीरों ने देश के लिए बहुत बड़े बड़े काम किए है | प्राचीन काल से ही
अनेक वीर योद्धा हुए जिन्होंने भारत भूमि की रक्षा हेतु अपने प्राण तक को न्योछावर
कर दिए | देशप्रेम से जुड़ी असंख्य वास्तविक कहानियाँ और महापुरूषों की दी हुई शिक्षा
हमे वास्तव मे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है पर हम उन की अपेक्षा और भी महान काम की
आशा करे और आगे बढ़े और इस के लिए जीवन की अभिलाषा के लिए प्रति अक्ष्ण मरना होगा. आज
से हिंदुस्तान का हर व्यक्ति संकल्प ले की वो अपने दायित्वों का निर्वाह भलीभांति करेगा
और न खुद से तथा न किसी अन्य के साथ गलत करेगा तो यह उसका अपने देश के लिए एक उपहार
ही होगा। एक डॉक्टर को महसूस करना चाहिए अगर वह एक गरीब आदमी का जीवन बचाता
है वह देश की सेवा करेंगे और बदले में डॉक्टर देश भक्ति
का कार्य कर रहे है उसी तरह एक क्लीनर पर गर्व महसूस करना चाहिए, कि वह अपने देश को
स्वच्छ बना रहे है, एक शिक्षक पर गर्व महसूस करना चाहिए वह राष्ट्र को शिक्षित कर रहा
है| मुझे
विश्वास है कि मैं हर काम में देश भक्ति की इस वृत्ति को प्रेरित कर सकता हूँ। आओ हम
सब मिल के शपथ ले कि आज के जियेंगे तो देश के लिए और मरेंगे तो देश के लिए |
भगत सिंह
ने भी आजादी के लिये अंग्रेजों के सामने भरी अदालत में भारत माता की जय कहके अंग्रेजो
की निद उडा दी थी मैरा रंगदे बसंती चोला माये रंग दे...कहा …भारतीय सैना का हर जवान
युध्द में दुशमनो से लडते समय भारत माता की जय बोलता है जिससे उसका आत्मबल बडता है
चाहे वह हिन्दु हो या मुसलमान चाहे वह पंजाबी हो या मद्रासी , सभी अपनी माता की रक्षा
के लिये गर्व से कहते है भारत माता की जय।
यहां पर कुछ बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में बताना चाहूंगा
| कभी कभी संघ के लोगो के विषय में बहुत जानकारी न होने के कारण उनके ज्ञान की जीवन
की जो ऊचाइयां है उस को समझ पाना बहुत मुश्किल होता है और कभी कभी तो कुछ बार जानने के बाद भी रजिस्टर नही होती
है| डॉ. हेडगेवार जी की जन शताबदी समारोह के समय की बात है जो लोग हमारे
(RSS) वैचारिक विरोधी है उन लोगो ने बहुत बड़ा अभियान चलाया था और लगातार लिखते थे बोलते
थे सेमिनारों में चर्चा करते थे की देखो यह
आरएसएस वाले कैसे लोग है, निकर चड्डी पहन के घूमते
रहते है| अरे भाई हम तो चढ्ढी पहनते हैं उनकी
तरह बीना पहने नहीं घुमते ! शुरू के दिनों में
डॉ. हैडगेवार को कौन जानता था नागपुर मै भी कोई पूछता नहीं था | कहते थे एक बहुत मामूली
आदमी को एक बड़ा आदमी बना कर के शताब्दी बना कर के घूम रहे है इस प्रकार की आलोचना होती
थी | ऐसा कहने वालो के लिए एक ही सीधा जवाब है हमारे आलोचक जब जब कहते है डॉ. हैडगेवार बहुत सामान्य थे मैं इस का विरोध नही करता हु | यह सही
है की पूरी संघ व्यवस्था में समाज के भीतर से आये हुए सामान्य लोग है, विशेषता यह नहीं
है कि लोग सामान्य है या असामान्य है विशेषता येह है की सामान्य लोगो ने असामान्य काम
कर के दिखाया है. | जिन को सामान्य नजरों से देख सकते है उन लोगो ने असामान्य काम कर
दिखाया है |
मित्रो पूरी किताब को पड़ने से संघ विषय मे कोई भरम है उस भरम का
अंत पढ़ते पढ़ते हो जायेगा मतलब संघ विषय में जानने की रुचि रखोगे तो समय पर सब पता चल
जायेगा| बहुत सिखाया जाता है संघ मैं ऐसा है संघ मैं वैसा है संघ ने यह दिखाया बहुत
से बातें इसलिए उलेख की गई है क्यों की संघ के लोग कोई जौर्नालिस्ट या बड़ा प्रभावी
लोग नही होते है लेकिन आरएसएस को गहराई से जानने पर आपको अंदाज आएगा कि अपने आप को
थका देने वाले लोग कितने उचे थे| शायद आज के लिए इतना ही काफी है |
भारत माता की जय… बहुत बहुत धनयवाद |
प्रवीन कुमार
सहरावत
No comments:
Post a Comment