Saturday 13 July 2019

धीरे धीरे से....

106th BLOG POST -->>


धीरे धीरे से रात को बढ़ने दो धीरे धीरे से चाँद को जगने दो खुले आकाश में सितारों की झिलमिल से धीरे धीरे से आकाश को सजने दो... धीरे धीरे से पेड़ पौधों को सोने दो धीरे धीरे से गर्म हवाओं को लहराने दो... अंधेरी रात में झींगुरों की झनझनाहट से धीरे धीरे से फ़िज़ा में संगीत बजने दो... धीरे धीरे से नींद को इंतजार करने दो धीरे धीरे से सपनो को बहकने दो... आज की इस खूबसूरत अर्ध प्रकाशमयी रात को धीरे धीरे से सुबह से गले मिलने दो....!!
Written By: Parveen Kumar Sahrawat

धीरे धीरे से रात को बढ़ने दो
धीरे धीरे से चाँद को जगने दो
खुले आकाश में सितारों की झिलमिल से
धीरे धीरे से आकाश को सजने दो...
धीरे धीरे से पेड़ पौधों को सोने दो
धीरे धीरे से गर्म हवाओं को लहराने दो...
अंधेरी रात में झींगुरों की झनझनाहट से
धीरे धीरे से फ़िज़ा में संगीत बजने दो...
धीरे धीरे से नींद को इंतजार करने दो
धीरे धीरे से सपनो को बहकने दो...
आज की इस खूबसूरत अर्ध प्रकाशमयी रात को
धीरे धीरे से सुबह से गले मिलने दो....!!



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